लेफ्ट के कमजोर होने का ही असर है की हमारी राष्ट्रीय राजनीती में विपक्ष एकदम कमजोर हो गया है, नहीं तो कमरतोड़ महंगाई ने कांग्रेस के लिए अब तक ढेरो मुश्किलें पैदा कर दी होंती. वामपंथियों के पास अब वो धार नहीं बची जिसके बलबूते वे आम आदमी का दिल जीता करतें थे. उनका कोई भी आन्दोलन अब जनता को प्रभावित नहीं करता. ऐसे में आज के समय में ज्योति दा जैसे नेताओ की जरूरत देश और वामपंथ को महसूस हो रही है. आज अगर वो हमारे बीच होते तो वामपंथ की यह हालत नहीं होती और देश में कांग्रेस को महंगाई के मुद्दे पर जवाब देना नहीं नहीं बनता. इसीलिए वामपंथ और देश में गरीबो की आवाज़ बनने के लिए ज्योति दा को फिर जन्म लेना होगा.
रविवार, 17 जनवरी 2010
फिर जन्म लेना होगा ज्योति दा को
लेफ्ट के कमजोर होने का ही असर है की हमारी राष्ट्रीय राजनीती में विपक्ष एकदम कमजोर हो गया है, नहीं तो कमरतोड़ महंगाई ने कांग्रेस के लिए अब तक ढेरो मुश्किलें पैदा कर दी होंती. वामपंथियों के पास अब वो धार नहीं बची जिसके बलबूते वे आम आदमी का दिल जीता करतें थे. उनका कोई भी आन्दोलन अब जनता को प्रभावित नहीं करता. ऐसे में आज के समय में ज्योति दा जैसे नेताओ की जरूरत देश और वामपंथ को महसूस हो रही है. आज अगर वो हमारे बीच होते तो वामपंथ की यह हालत नहीं होती और देश में कांग्रेस को महंगाई के मुद्दे पर जवाब देना नहीं नहीं बनता. इसीलिए वामपंथ और देश में गरीबो की आवाज़ बनने के लिए ज्योति दा को फिर जन्म लेना होगा.
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कामरेड़ ज्योति बसु को लाल सलाम
जवाब देंहटाएं