गुरुवार, 1 अक्तूबर 2009

आज 2 अक्टूबर है


अभी जब रात के 1 बजकर 3 मीनट हुए हैं, मुझे अचानक याद आया की 1 अक्टूबर बीत चुकी है और आज 2 तारीख हो गयी है। अचानक मुझे यह भी याद आया की आज किसी ऐसे व्यक्ति का जन्मदिन है, जिसे हम लोग अपनी इतिहास की किताबो में पढ़ते थें। हमें पढाया जाता था की भारत को ऐसे व्यक्ति ने आजाद कराया जो कभी झूट नहीं बोलता था। जिसने अपने देश को सत्य और अहिंसा के बल पर ब्रिटिश हकुमत से मुक्त कराया। जो साधारण होतें हुए भी असाधारण था। लोग उसे महात्मा कहते थे और उसके पीछे लोग ऐसे मतवाले थे की उसे राष्ट्र-पिता और बापू भी कह कर संबोधित करते थे। इतिहास की किताबो में महात्मा गाँधी लिखा हुआ मिलता था। इसके साथ यह भी लिखा हुआ मिलता था की उनका बचपन का नाम मोहन दास करम चंद गाँधी था। मेरे ख्याल से इतनी जानकारी काफी है जो यह साबित करती है की तमाम व्यस्तताओ के बावजूद भी भी मैं बापू को नहीं भुला हूँ। हो सकता है की आज के बाद बापू मुझे फिर अगली जयंती पर ही याद आयें ठीक हमारे उन नेताओ की तरह जो 2 अक्टूबर के दिन उनकी समाधी पर पुष्प अर्पित करने के बाद करते हैं।
अभी जब मैं यह ब्लॉग लिख रहा हूँ तो मन में एक स्फूर्ति सी है क्योंकि मन में एक ऐसे व्यक्ति का ख्याल अचानक आ गया जिसे एक दो किताबो में ख़तम नहीं किया जा सकता। गाँधी को समझने के लिए पूरा जीवन कम है। कुछ बातें और याद आ रही हैं इस दिन टीवी पर गाँधी नाम की एक फिल्म भी दिखाई जाती है जिसे रिचर्ड एतेंब्रौग ने बनाया था। पूरी फिल्म देखने के बाद यही लगता था की शरीर पर धोती लपेटे और हाथ में लाठी लिए इस व्यक्ति में ऐसा क्या था जो सभी इसके दीवाने थें।
आज जब सुबह होगी तो फिर से सारे न्यूज़ चैनल गाँधी को याद करेंगे और न जाने TRP बटोरने वाले कौन से प्रोग्राम चलाएंगे या फिर चलाएंगे भी की नहीं क्योंकि गाँधी कोई राखी सावंत, राहुल महाजन, शाहरुख़ खान, धोनी, लालू प्रसाद यादव तो हैं नहीं जो TRP की गंगा बहा दें। इन सब के बीच में शायद गाँधी फिल्म दूरदर्शन पर जरूर दिखयी जायेगी जो नयी पीढी को यह बतलाने में काफी मदद करेगी की कोई साबरमती का संत भी इस देश के गुजरात में पैदा हुआ था। याद दिला दूं की यह वही गुजरात है जहाँ अभी नरेन्द्र मोदी का शासन है, और जिन पर गुजरात में दंगे फैलाने का आरोप हैं। खैर इन सब बातों में क्या रखा हैं। बस इतना याद रखना जरूरी है की आज गाँधी जयंती है और आज जितना मन करे उतना गाँधी जी को याद करे. कल भूल जाने पर कोई कसूर थोड़े ही न होगा क्योंकि ऐसा तो हम भारतीय दशको से करतें आ रहे है।

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